White यूं ही भटक जाता हूं.. भिड़ में अभी.. अभी तो | हिंदी कविता

"White यूं ही भटक जाता हूं.. भिड़ में अभी.. अभी तो चलने का , हुनर सीख रहा हूं.. निकालना है ,एक दिन मुझे भी उन अजनबी राहों पर जहां पर कइयों के पैर डगमगाए हैं। ©बद्रीनाथ✍️"

 White 
यूं ही भटक जाता हूं..
भिड़ में अभी..
अभी तो चलने का ,
हुनर सीख रहा हूं..
निकालना है ,एक दिन 
मुझे भी 
उन अजनबी राहों पर
जहां पर कइयों के पैर 
डगमगाए हैं।

©बद्रीनाथ✍️

White यूं ही भटक जाता हूं.. भिड़ में अभी.. अभी तो चलने का , हुनर सीख रहा हूं.. निकालना है ,एक दिन मुझे भी उन अजनबी राहों पर जहां पर कइयों के पैर डगमगाए हैं। ©बद्रीनाथ✍️

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