यह शरीर रूपी स्यंदन
मन रूपी अश्वों के अधीन हो
नभ से धरा तक विचरित है
गंतव्यों की अमूर्तता में उलछा
पगडंडियों और रास्तों के नेह में लिप्त
अभिलाषित लक्ष्य तक पंहुचना चाहता है
आवाह्न है माता इस परिदृश्य में तुम्हारा
आशीर्वाद की आस लिए भक्त खड़ा है
©gaurav
#navratri2023