मुक्तक: माया आधार छंद: भुजंगप्रयात छंद मापनी– 122 | हिंदी कविता

"मुक्तक: माया आधार छंद: भुजंगप्रयात छंद मापनी– 122 122 122 122 न तेरा न मेरा जगत यार माया। न कल है न पल है सभी कुछ पराया। नदी की तरह बह रहे हैं यहां सब। किसी की यहां पर चले कुछ न माया॥ Dinesh Pandey © दिनेश कुशभुवनपुरी"

मुक्तक: माया आधार छंद: भुजंगप्रयात छंद मापनी– 122 122 122 122 न तेरा न मेरा जगत यार माया। न कल है न पल है सभी कुछ पराया। नदी की तरह बह रहे हैं यहां सब। किसी की यहां पर चले कुछ न माया॥ Dinesh Pandey © दिनेश कुशभुवनपुरी

#मुक्तक #जगत #माया शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) मनोज मानव @.Indian Sing Language सुरमई साहित्य Suhana parvin. please Humko support aur gift Kijiye - repost kijiye-Boss @Naveen Kumar सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) @Ritu Tyagi @Raj Guru @gungun gusain @Alone Amit @Subhash Chandra Nîkîtã Guptā Diksha Singh PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' @Rank Nameless @kanta kumawat @Anupriya @Priya Rajpurohit @Anjali Srivastav @RD bishnoi RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' गुरु देव @advocate SURAJ PAL SINGH सुनील 'विचित्र' -"Richa

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