नौका
कभी कभी सबके जीवन में
आता ऐसा मौका
नहीं कोई चारा बचता है
काम है आती नौका
नहीं डूबने देती जब तक
खुद ही डूब न जाती
तूफानों से लड़कर के भी
मंजिल तक पहुँचाती
उसे भरोसा है माझी पर
जो है जीवन साथी
जिसने दामन थाम लिया है
छोड़ के घोड़ा हाथी
जब तक जीवन है लोगों का
बोझ उठाकर चलती
कोशिश करती कभी न उससे
हो कोई भी गलती
भेद भाव न करती है यह
हम सबकी आदर्श
कहती मत घबराना बेखुद
जीवन है संघर्ष
स्वरचित
सुनील कुमार मौर्य बेखुद
गोरखपुर उत्तर प्रदेश
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#नौका