नासाज़ है तबियत उसकी जिसे वो सुधारने आता है, तरसता | हिंदी शायरी

"नासाज़ है तबियत उसकी जिसे वो सुधारने आता है, तरसता मैं हूं पर तुझसे मेरे से पहले मिलने आता है, न ज़रा भी ज़ालिम होना तू सूरज मेहर रखना उसपे, तेरी रौशनी में हर सुबह कोई अपना भीगने आता है । ©Akash Kedia"

 नासाज़ है तबियत उसकी जिसे वो सुधारने आता है,
तरसता मैं हूं पर तुझसे मेरे से पहले मिलने आता है,
न ज़रा भी ज़ालिम होना तू सूरज मेहर रखना उसपे,
तेरी रौशनी में हर सुबह कोई अपना भीगने आता है ।

©Akash Kedia

नासाज़ है तबियत उसकी जिसे वो सुधारने आता है, तरसता मैं हूं पर तुझसे मेरे से पहले मिलने आता है, न ज़रा भी ज़ालिम होना तू सूरज मेहर रखना उसपे, तेरी रौशनी में हर सुबह कोई अपना भीगने आता है । ©Akash Kedia

#sunkissed #ishq #phirmohabbat

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