ख्यालों का इक शहर हुआ करता है, दिल ही दिल में बसर | हिंदी Poetry

"ख्यालों का इक शहर हुआ करता है, दिल ही दिल में बसर हुआ करता है। नादान परिंदों का घर लगता प्यारा, इन आंखों में पहर हुआ करता है। ©मनीष कुमार पाटीदार"

 ख्यालों का इक शहर हुआ करता है,
दिल ही दिल में बसर हुआ करता है।

नादान परिंदों का घर लगता प्यारा,
इन आंखों में पहर हुआ करता है।

©मनीष कुमार पाटीदार

ख्यालों का इक शहर हुआ करता है, दिल ही दिल में बसर हुआ करता है। नादान परिंदों का घर लगता प्यारा, इन आंखों में पहर हुआ करता है। ©मनीष कुमार पाटीदार

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