यारों के साथ वो पल जो सपने सजाते हुए बीते वही बने | हिंदी कविता

"यारों के साथ वो पल जो सपने सजाते हुए बीते वही बने मेरे जीवन के बुनियादी पल अनोखे ! कैसे, कहाँ, क्यों जाना है, तय किया उन्हीं पल! कामयाबी के रास्तों की अनदेखी अड़चने जाना, हर अनजानी दुविधाओं का पहले से अंदेशा किया, समाधान भी ढूंढ़ किया तैयार खुद को, आगे बढ़ा। आज जब सभी सफल हैं अपने कार्य क्षेत्र में, मिलते हैं तो करते हैं जिक्र सपनों का जो सच बने। खुशी है हमें, बुनियाद हमारी हमनें मजबूत बनाई थी, तरक्की के रास्तों से जान पहचान पहले कर लील थी। आराधना अग्रवाल ©Aaradhana Agarwal"

 यारों के साथ वो पल जो सपने सजाते हुए बीते 
वही बने मेरे जीवन के  बुनियादी पल अनोखे ! 
कैसे, कहाँ, क्यों जाना है, तय किया उन्हीं पल! 
कामयाबी के रास्तों की अनदेखी अड़चने जाना, 
हर अनजानी दुविधाओं का पहले से अंदेशा किया, 
समाधान भी ढूंढ़ किया तैयार खुद को, आगे बढ़ा।
आज जब सभी सफल हैं अपने  कार्य क्षेत्र में, 
 मिलते हैं तो करते हैं जिक्र सपनों का जो सच बने। 
खुशी है हमें, बुनियाद हमारी हमनें मजबूत बनाई थी, 
तरक्की के रास्तों से जान पहचान पहले कर लील थी। 
आराधना अग्रवाल

©Aaradhana Agarwal

यारों के साथ वो पल जो सपने सजाते हुए बीते वही बने मेरे जीवन के बुनियादी पल अनोखे ! कैसे, कहाँ, क्यों जाना है, तय किया उन्हीं पल! कामयाबी के रास्तों की अनदेखी अड़चने जाना, हर अनजानी दुविधाओं का पहले से अंदेशा किया, समाधान भी ढूंढ़ किया तैयार खुद को, आगे बढ़ा। आज जब सभी सफल हैं अपने कार्य क्षेत्र में, मिलते हैं तो करते हैं जिक्र सपनों का जो सच बने। खुशी है हमें, बुनियाद हमारी हमनें मजबूत बनाई थी, तरक्की के रास्तों से जान पहचान पहले कर लील थी। आराधना अग्रवाल ©Aaradhana Agarwal

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