सागर के दर्द में छुपा है फसाना कोई, जैसे दिल में ब | हिंदी कविता

"सागर के दर्द में छुपा है फसाना कोई, जैसे दिल में बसा हो अफसाना कोई। सागर के दर्द को चाँद भी समझ न सका, जैसे मेरी तड़प का आलम तू जान न सका। सागर के दर्द को सहना सबका काम नहीं, मोहब्बत का यह सैलाब आसान नहीं। ©Balwant Mehta"

 सागर के दर्द में छुपा है फसाना कोई,
जैसे दिल में बसा हो अफसाना कोई।

सागर के दर्द को चाँद भी समझ न सका,
जैसे मेरी तड़प का आलम तू जान न सका।

सागर के दर्द को सहना सबका काम नहीं,
मोहब्बत का यह सैलाब आसान नहीं।

©Balwant Mehta

सागर के दर्द में छुपा है फसाना कोई, जैसे दिल में बसा हो अफसाना कोई। सागर के दर्द को चाँद भी समझ न सका, जैसे मेरी तड़प का आलम तू जान न सका। सागर के दर्द को सहना सबका काम नहीं, मोहब्बत का यह सैलाब आसान नहीं। ©Balwant Mehta

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