White पल्लव की डायरी कर्म ही जिनका धर्म था गति देश | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी कर्म ही जिनका धर्म था गति देश समाज को देते थे टाटा जी पर्याय थे सेवा के हर दिल मे राज करते थे डूबे जब जब देश के उपक्रम जिंदा कर उनमें उड़ाने भरते थे उद्योगपति नही,रीढ़ भारत की थे भले शरीर से अब नही मिले मगर उनके हर कार्य गाथा उनकी खोलेंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
कर्म ही जिनका धर्म था
गति देश समाज को देते थे
टाटा जी पर्याय थे सेवा के
हर दिल मे राज करते थे
डूबे जब जब देश के उपक्रम
जिंदा कर उनमें उड़ाने भरते थे
उद्योगपति नही,रीढ़ भारत की थे
भले शरीर से अब नही मिले
मगर उनके हर कार्य 
गाथा उनकी खोलेंगे
                                  प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी कर्म ही जिनका धर्म था गति देश समाज को देते थे टाटा जी पर्याय थे सेवा के हर दिल मे राज करते थे डूबे जब जब देश के उपक्रम जिंदा कर उनमें उड़ाने भरते थे उद्योगपति नही,रीढ़ भारत की थे भले शरीर से अब नही मिले मगर उनके हर कार्य गाथा उनकी खोलेंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#Ratan_Tata उद्योगपति नही,रीढ़ भारत की थे
#nojotohindi

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