यार आज छाई चारो तरफ तन्हाई है
शायद मेरे '' गुमनाम ''की फिर से याद आई है
वो कहता है अब मैं उससे महोब्बत नही करती
अरे जान ये तुमने कितनी बुरी तोहमत लगाई है
कल तक जो तुम मुझसे गले मिलने को तड़पते थे
आज फिर ये किसको सीने से लगा कर लाए हो
महोब्बत थी किसी और से तो पहले ही बता देते
एक साथ में ये दो निशाने क्यों लगाते हो
और महोब्बत खेल है तुम्हारे लिए ये जानती हूं मैं
मगर हर अपने के दिल से ही क्यों तुम खेल जाते हो
©Priya varma ।
याद आई है..... 😢😢💔