नववर्ष की बेला स्वीकार हो। दया, प्रेम, क्षमा | हिंदी Poetry

"नववर्ष की बेला स्वीकार हो। दया, प्रेम, क्षमा के संस्कार हो। जग में सुख समृद्धि बनी रहे। घृणा, क्रोध,छल का संहार हो। सत्य सनातन पथ पर हो आरूढ़। धर्म, कर्म, सबमें जय जयकार हो। हम सब एक यही भावना सही। एकता व बल में सदैव ललकार हो। एक ही मिट्टी से बने सब प्राणी। हरि ॐ तत्सत्, जिह्वा में ऊंकार हो। राष्ट्रहित सर्वोपरि, कल्याण कर दें। लेकर संकल्प नववर्ष चमकदार हो। ©मनीष कुमार पाटीदार"

 नववर्ष  की  बेला  स्वीकार  हो।
दया, प्रेम, क्षमा  के संस्कार हो।
जग  में  सुख  समृद्धि  बनी रहे।
घृणा, क्रोध,छल  का  संहार हो।
सत्य सनातन पथ पर हो आरूढ़।
धर्म, कर्म, सबमें जय जयकार हो।
हम  सब  एक  यही  भावना सही।
एकता व बल में सदैव ललकार हो।
एक  ही  मिट्टी  से बने  सब  प्राणी।
हरि ॐ तत्सत्, जिह्वा  में ऊंकार हो।
राष्ट्रहित सर्वोपरि, कल्याण कर दें।
लेकर संकल्प नववर्ष चमकदार हो।

©मनीष कुमार पाटीदार

नववर्ष की बेला स्वीकार हो। दया, प्रेम, क्षमा के संस्कार हो। जग में सुख समृद्धि बनी रहे। घृणा, क्रोध,छल का संहार हो। सत्य सनातन पथ पर हो आरूढ़। धर्म, कर्म, सबमें जय जयकार हो। हम सब एक यही भावना सही। एकता व बल में सदैव ललकार हो। एक ही मिट्टी से बने सब प्राणी। हरि ॐ तत्सत्, जिह्वा में ऊंकार हो। राष्ट्रहित सर्वोपरि, कल्याण कर दें। लेकर संकल्प नववर्ष चमकदार हो। ©मनीष कुमार पाटीदार

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