झंकृत हो जाए तुम्हारी सांसें जिन्हे पढ़कर, मुझे ल | हिंदी विचार

"झंकृत हो जाए तुम्हारी सांसें जिन्हे पढ़कर, मुझे लिखना है ऐसी भावनाओं को एक अरसे से जिन्हे छिपाए फिरते हो, मुझे लिखना है तुम्हारी उन यातनाओं को ! - प्रतियोगिता सिंह ©"

 झंकृत हो जाए तुम्हारी सांसें जिन्हे पढ़कर, 
मुझे लिखना है ऐसी भावनाओं को

एक अरसे से जिन्हे छिपाए फिरते हो,
मुझे लिखना है तुम्हारी उन यातनाओं को !




- प्रतियोगिता सिंह

©

झंकृत हो जाए तुम्हारी सांसें जिन्हे पढ़कर, मुझे लिखना है ऐसी भावनाओं को एक अरसे से जिन्हे छिपाए फिरते हो, मुझे लिखना है तुम्हारी उन यातनाओं को ! - प्रतियोगिता सिंह ©

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