आज उसकी दोस्ती में कुछ नमी देखी, चाँद की चांदनी मे | हिंदी कविता

"आज उसकी दोस्ती में कुछ नमी देखी, चाँद की चांदनी में कुछ कमी देखी, लौट आये उदास होकर हम अपने घर, उसकी महफ़िल में जब औरों की जमी देखी !! मतलबी जमाना है, नफरतों का कहर है, ये दुनिया दिखाती शहद है, पिलाती जहर है !! ©Vishal Sharma"

 आज उसकी दोस्ती में कुछ नमी देखी,
चाँद की चांदनी में कुछ कमी देखी,
लौट आये उदास होकर हम अपने घर,
उसकी महफ़िल में जब औरों की जमी देखी !!


मतलबी जमाना है, नफरतों का कहर है,
ये दुनिया दिखाती शहद है, पिलाती जहर है !!

©Vishal  Sharma

आज उसकी दोस्ती में कुछ नमी देखी, चाँद की चांदनी में कुछ कमी देखी, लौट आये उदास होकर हम अपने घर, उसकी महफ़िल में जब औरों की जमी देखी !! मतलबी जमाना है, नफरतों का कहर है, ये दुनिया दिखाती शहद है, पिलाती जहर है !! ©Vishal Sharma

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