White पल्लव की डायरी
है जिंदगी जरा मुस्करा दे
दौड़ तेरे मन की खत्म ना होगी
ईश्क ही सब मर्ज की दवा है
जरा अपने को अच्छे से समझा ले
बेहतर जिंदगी ,हर हाल में खुश रहने में है
दौड तेरी कभी खत्म नही होगी
सजे है मेले आकर्षण के जग में
इन मे रमने से,तृप्ति कभी पुरी नही होगी
छोड़ दिये तूने अंहकार में अपने रिश्ते
गरीबी अमीरी अवस्थाओं के अधीन है
धन लोलुपता भय और बीमारी है
इससे हक किसी का छीनता जरूर है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#sad_quotes धन लोलुपता भय और बीमारी है
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