आज फिर न जाने कितने ग़ुलाब तोड़ के मृतप्राय कर दिए ज

"आज फिर न जाने कितने ग़ुलाब तोड़ के मृतप्राय कर दिए जाएंगे; बस कुछ दिलों को जोड़ने के अभिनय केलिए।। यहाँ टूटने का अभिप्राय केवल टूटना है; और किसी के टूटने से किसी के जुड़ने का कोई अर्थ नही रह जाता। ©._.ArdhArya._."

 आज फिर न जाने कितने ग़ुलाब तोड़ के मृतप्राय कर दिए जाएंगे; बस कुछ दिलों को जोड़ने के अभिनय केलिए।।

यहाँ टूटने का अभिप्राय केवल टूटना है; और किसी के टूटने से किसी के जुड़ने का कोई अर्थ नही रह जाता।

©._.ArdhArya._.

आज फिर न जाने कितने ग़ुलाब तोड़ के मृतप्राय कर दिए जाएंगे; बस कुछ दिलों को जोड़ने के अभिनय केलिए।। यहाँ टूटने का अभिप्राय केवल टूटना है; और किसी के टूटने से किसी के जुड़ने का कोई अर्थ नही रह जाता। ©._.ArdhArya._.

#HappyRoseDay

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