खुशियों की सौगात हैं बेटियाँ, बेटियाँ स्रग्विणी | हिंदी कविता

"खुशियों की सौगात हैं बेटियाँ, बेटियाँ स्रग्विणी छंद गीतिका बेटियाँ यदि नहीं घर न घर सा लगे । इक पुराना ढ़हा खंडहर सा लगे ॥ मान कुल का बढ़ाती रहीं बेटियाँ | गर्व करता पिता नामवर सा लगे ॥ पाल देतीं पिता को पिता की तरह । कार्य इनका हमेशा शिखर सा लगे ॥ हों जहाँ बेटियाँ ऋतु बहारें वहाँ । फूल फल से लदा घर शजर सा लगे ॥ गर्भ में आप इनको नहीं मारिए । नित कमी से हृदय बीच डर सा लगे ॥ आप रखिए बहू को सुता की तरह । शाम का वक्त सुंदर सहर सा लगे ॥ वक्त का कुछ पता चल न पाता ' किशन ' । वे जहाँ भी रहें दिन पहर सा लगे ॥ जय श्री कृष्ण कृष्ण कुमार मिश्र ' किशन ' खरचौला , बाँसी - सिद्धार्थनगर ( उ॰प्र॰) ©krishna"

 खुशियों की सौगात हैं बेटियाँ,   बेटियाँ
स्रग्विणी छंद
गीतिका
बेटियाँ यदि नहीं घर न घर सा लगे ।
इक पुराना ढ़हा खंडहर सा लगे ॥

मान कुल का बढ़ाती रहीं बेटियाँ |
गर्व करता पिता नामवर सा लगे ॥

पाल देतीं पिता को पिता की तरह ।
कार्य इनका हमेशा शिखर  सा लगे ॥

हों जहाँ  बेटियाँ ऋतु बहारें वहाँ ।
फूल फल से लदा घर शजर सा लगे ॥

गर्भ में आप इनको नहीं मारिए ।
 नित कमी से हृदय बीच डर सा लगे ॥

आप रखिए बहू को सुता की तरह ।
शाम का वक्त सुंदर सहर सा लगे ॥

वक्त का कुछ पता चल न पाता ' किशन ' ।
 वे जहाँ भी रहें  दिन पहर सा लगे ॥
जय श्री कृष्ण
कृष्ण कुमार मिश्र ' किशन '
खरचौला , बाँसी - सिद्धार्थनगर ( उ॰प्र॰)

©krishna

खुशियों की सौगात हैं बेटियाँ, बेटियाँ स्रग्विणी छंद गीतिका बेटियाँ यदि नहीं घर न घर सा लगे । इक पुराना ढ़हा खंडहर सा लगे ॥ मान कुल का बढ़ाती रहीं बेटियाँ | गर्व करता पिता नामवर सा लगे ॥ पाल देतीं पिता को पिता की तरह । कार्य इनका हमेशा शिखर सा लगे ॥ हों जहाँ बेटियाँ ऋतु बहारें वहाँ । फूल फल से लदा घर शजर सा लगे ॥ गर्भ में आप इनको नहीं मारिए । नित कमी से हृदय बीच डर सा लगे ॥ आप रखिए बहू को सुता की तरह । शाम का वक्त सुंदर सहर सा लगे ॥ वक्त का कुछ पता चल न पाता ' किशन ' । वे जहाँ भी रहें दिन पहर सा लगे ॥ जय श्री कृष्ण कृष्ण कुमार मिश्र ' किशन ' खरचौला , बाँसी - सिद्धार्थनगर ( उ॰प्र॰) ©krishna

#NationalGirlChildDay

People who shared love close

More like this

Trending Topic