White जिन ख्वाबों से सवर सकती थी जिंदगी अपनी
अफसोस वो ख्वाब मेरी आंख में नहीं आए
जिन हाथों से बदल सकता था मुकद्दर अपना
वो खुश नसीब हांथ भी मेरे हाथ में नहीं आए
मोहब्बत के इम्तिहान में हम फेल हो गए
इश्क़ प्यार मोहब्बत वफ़ा जैसे लफ़्ज़ सवालात में नहीं आए
किसी से मेरी बाते मेरा जिक्र भी नहीं किया
हम क्या इतने बुरे थे तेरे ख्यालात में नहीं आए
दूर से करते रहे वो इशारे मोहब्बत के
हाए अफसोस वो पास में नहीं आए
मुद्दतों बाद मुलाकात का मौसम था
भीगने के डर से वो बरसात में नहीं आए
©Shoheb alam shayar jaipuri
#love_shayari