भावो की नगरी भाव नगर मे पंचदिवसी उत्सव सजाया है
कृत्रिमकरण के युग मे मानवीकरण को उत्तम बताया है
नये युग की नयी सोच से कदम मिलाना है
हर तकनीकी को सिखकर जीवन को उत्कृष्ट बनाना है
समझ और संयम के दो शब्दो मे तालमेल बिठाना है..
जिस तकनीकी का तक देने के लिए सृजन किया..
न हो तकलीफ इससे किसी को यह प्रण हम सभी ने है लिया
घर से बाहर होकर भी घर मे ही थे
RSC के परिवार ने अपनत्व सभी पर है लुटाया …
श्री नरोत्तम जी की सोच को श्री गिरीश जी ने हम तक है पहुंचाया
सुश्री Dr. पायल और श्री रमेश जी ने निष्ठा से कर्तव्य है निभाया….
भावी भारत के निर्माण के नये कदमो को सशक्त है बनाया…
मै योगिता साक्षी रही इन दिनो की अपने शब्द सुमन से अनुभव को पिरोया
©Yogita Harne
rsc