White कुछ स्त्रियां हौसला होती हैं अपना और अपने पर | हिंदी Poetry

"White कुछ स्त्रियां हौसला होती हैं अपना और अपने परिवार का ऐसा नहीं कि वो टूटती नहीं बिखरती, रोती और बिलखती नहीं पर इन सबसे ऊपर होता है उनका आत्म विश्वास खुद को खुद ही जोड़ने का हुनर हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेने का हुनर अपनी कमजोरियों से लड़कर उन्हें अपनी ताकत बना लेने का हुनर नहीं होती हैं वो फूल सी नाज़ुक कलाइयों की जिसमें चूड़ियां पहनाई जा सके बस पहन कर एक घड़ी ही वह चलती हैं,साथ साथ समय के कोशिश करती हैं कदम से कदम मिला कर चलने की अपनी क्षमता और प्रतिभा से बस सब कुछ पाने का सपना देखती हैं नहीं चाहती वो किसी के ऊपर एक पाई पाई का मोहताज होना बस एक सम्मान और व्यक्तिगत पहचान चाहती हैं अपनी कि उनको लोग पिता और पति के नाम से बढ़ कर भी जाने उनके स्वयं की कार्य,कुशलता और सफ़ल होने की मापन प्रणाली में दर्ज करा सके वो नाम अपना कुछ नहीं चाह होती सिवाय इस के उसे भी समाज में एक पुरुष की तरह बराबरी और सम्मान मिले एक लड़की या एक स्त्री से परे होकर समाज की सफलता और असफलता की परिभाषा से उसे भी देखा और गिना जाए ll ©Rishi Ranjan"

 White कुछ स्त्रियां हौसला होती हैं
अपना और अपने परिवार का
ऐसा नहीं कि वो टूटती नहीं
बिखरती, रोती और बिलखती नहीं
पर इन सबसे ऊपर होता है
उनका आत्म विश्वास
खुद को खुद ही जोड़ने का हुनर
हर परिस्थिति में खुद को
ढाल लेने का हुनर
अपनी कमजोरियों से 
लड़कर उन्हें अपनी
ताकत बना लेने का हुनर
नहीं होती हैं वो फूल सी नाज़ुक
कलाइयों की
जिसमें चूड़ियां पहनाई जा सके
बस पहन कर एक घड़ी ही
वह चलती हैं,साथ साथ समय के
कोशिश करती हैं कदम से कदम मिला कर
चलने की अपनी क्षमता और प्रतिभा से
बस सब कुछ पाने का सपना देखती हैं
नहीं चाहती वो किसी के ऊपर
एक पाई पाई का मोहताज होना
बस एक सम्मान और
व्यक्तिगत पहचान चाहती हैं अपनी
कि उनको लोग पिता और पति 
के नाम से बढ़ कर भी जाने
उनके स्वयं की 
कार्य,कुशलता और
सफ़ल होने की
मापन प्रणाली में
दर्ज करा सके वो नाम अपना 
कुछ नहीं चाह होती सिवाय इस के
उसे भी समाज में एक
पुरुष की तरह
बराबरी और सम्मान मिले
एक लड़की या एक स्त्री से परे होकर
समाज की सफलता और असफलता 
की परिभाषा से 
उसे भी देखा और गिना जाए ll

©Rishi Ranjan

White कुछ स्त्रियां हौसला होती हैं अपना और अपने परिवार का ऐसा नहीं कि वो टूटती नहीं बिखरती, रोती और बिलखती नहीं पर इन सबसे ऊपर होता है उनका आत्म विश्वास खुद को खुद ही जोड़ने का हुनर हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेने का हुनर अपनी कमजोरियों से लड़कर उन्हें अपनी ताकत बना लेने का हुनर नहीं होती हैं वो फूल सी नाज़ुक कलाइयों की जिसमें चूड़ियां पहनाई जा सके बस पहन कर एक घड़ी ही वह चलती हैं,साथ साथ समय के कोशिश करती हैं कदम से कदम मिला कर चलने की अपनी क्षमता और प्रतिभा से बस सब कुछ पाने का सपना देखती हैं नहीं चाहती वो किसी के ऊपर एक पाई पाई का मोहताज होना बस एक सम्मान और व्यक्तिगत पहचान चाहती हैं अपनी कि उनको लोग पिता और पति के नाम से बढ़ कर भी जाने उनके स्वयं की कार्य,कुशलता और सफ़ल होने की मापन प्रणाली में दर्ज करा सके वो नाम अपना कुछ नहीं चाह होती सिवाय इस के उसे भी समाज में एक पुरुष की तरह बराबरी और सम्मान मिले एक लड़की या एक स्त्री से परे होकर समाज की सफलता और असफलता की परिभाषा से उसे भी देखा और गिना जाए ll ©Rishi Ranjan

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