"दर्द लिखता हूं ,गम लिखता हूं ,जज़्बात लिखता हूं
मैं अपनी ग़ज़लों में तुम्हारे एहसास लिखता हूं
तुमने तो हमारे सिर्फ अल्फ़ाज़ पढ़े हैं
मैं मोहब्बत में तुम्हारा किरदार लिखता हूं
तुम तो बस पढ़ते हो और यूं ही हटा देते हो
मैं तुम्हारी ख़ूबसूरती को सौ-सौ बार लिखता हूं
यही हुनर है जिसे लोग पागलपन कहते हैं
मैं तो अपनी मोहब्बत के अल्फ़ाज़ लिखता हूं।
©Purohit Nishant
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