वाक़िफ नहीं जो लोग सफ़र के वसूल से, सांये की भीख म | हिंदी Shayari

"वाक़िफ नहीं जो लोग सफ़र के वसूल से, सांये की भीख मांग रहे हैं बबुल से; मैं आज तक सफ़र में हूं इसी वहम में, कि उभरेंगी मंजिलें मेरे पांव की धूल से। राधे राधे ❣️ . ©AV official ⤴️"

 वाक़िफ नहीं जो लोग सफ़र के वसूल से,
सांये की भीख मांग रहे हैं बबुल से;

मैं आज तक सफ़र में हूं इसी वहम में,
कि उभरेंगी मंजिलें मेरे पांव की धूल से।
राधे राधे ❣️












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©AV official   ⤴️

वाक़िफ नहीं जो लोग सफ़र के वसूल से, सांये की भीख मांग रहे हैं बबुल से; मैं आज तक सफ़र में हूं इसी वहम में, कि उभरेंगी मंजिलें मेरे पांव की धूल से। राधे राधे ❣️ . ©AV official ⤴️

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