तन के साथ कई होते हैं यारा, मन तो अकेला हैं,
मन अकेला हो , तो अच्छा कहां लगता मेला हैं।
अकेला ही होता हैं, जो खुद को जान पाता हैं
भीड़ तो समझ लो यारा,बस एक रेलमरेला हैं।
अकड़ सबमें हैं, किसी ना किसी बात की कमलेश,
उस्ताद बने फिरते हैं सब, कोई नहीं बनता चेला हैं।
हर चमकती चीज के पीछे भागते हैं, दुनियां के लोग
कोई नहीं जानता यह तो महज माया का खेला हैं।
©Kamlesh Kandpal
#standAlone