White जो स्वप्न सजाए थे हमने उन स्वप्नों का क्य | हिंदी Bhakti

"White जो स्वप्न सजाए थे हमने उन स्वप्नों का क्या मोल रहा जो भ्रमर गीत संग गाए थे उन गीतों का क्या बोल रहा तुम भूल गए कैसे हमने स्वर गुंजित कर गुणगान किया था तुम भूल गए हमने संग मिलकर जीवन का एक नया आह्वान किया था जब जग रूठा था हमसे तब भी ना हमने जरा मलाल किया था कटु वचन सुने दुनियां के फिर भी ना नीचे अपना भाल किया था फिर हुई क्या मुझसे भूल जो तुमने साथ अचानक छोड़ दिया है मझधारा में लाकर मुझको बोलो क्यों राह अचानक मोड़ लिया है मन में यह विष घोला किसने किसने हैं नया प्राणिपात लिया किसने मेरे जीवन के इस उपवन पर इतना बड़ा आघात किया गर कुछ नाराजी है तो बात करो जरा तर्क भी दो संवाद करों यूं निरा छोड़कर मुझको तुम ना मन पर हृदयाघात करो यह विरह नही सह पाऊंगा, जीते जी मै मर जाऊंगा गर तुझसे बिछड़ गया फिर मैं मुझमें ही ना रह पाऊंगा गर फिर भी भान नहीं तुमको तो लो कटार लहू लोचन कर दो चीर दो मेरा हृदय पटल और प्रेम के ऋण से मोचन कर दो ©Ankur tiwari"

 White  
जो स्वप्न सजाए थे हमने 
उन स्वप्नों का क्या मोल रहा 
जो भ्रमर गीत संग गाए थे 
उन गीतों का क्या बोल रहा 
तुम भूल गए कैसे हमने 
स्वर गुंजित कर गुणगान किया था 
तुम भूल गए हमने संग मिलकर 
जीवन का एक नया आह्वान किया था 
जब जग रूठा था हमसे तब भी ना 
हमने जरा मलाल किया था 
कटु वचन सुने दुनियां के फिर भी ना 
नीचे अपना भाल किया था 
फिर हुई क्या मुझसे भूल जो तुमने 
साथ अचानक छोड़ दिया है 
मझधारा में लाकर मुझको बोलो क्यों 
राह अचानक मोड़ लिया है 
मन में यह विष घोला किसने 
किसने हैं नया प्राणिपात लिया 
किसने मेरे जीवन के इस उपवन पर 
इतना बड़ा आघात किया 
गर कुछ नाराजी है तो बात करो 
जरा तर्क भी दो संवाद करों 
यूं निरा छोड़कर मुझको तुम 
ना मन पर हृदयाघात करो 
यह विरह नही सह पाऊंगा, 
जीते जी मै मर जाऊंगा 
गर तुझसे बिछड़ गया फिर मैं 
मुझमें ही ना रह पाऊंगा 
गर फिर भी भान नहीं तुमको तो
लो कटार लहू लोचन कर दो
चीर दो मेरा हृदय पटल और
प्रेम के ऋण से मोचन कर दो

©Ankur tiwari

White जो स्वप्न सजाए थे हमने उन स्वप्नों का क्या मोल रहा जो भ्रमर गीत संग गाए थे उन गीतों का क्या बोल रहा तुम भूल गए कैसे हमने स्वर गुंजित कर गुणगान किया था तुम भूल गए हमने संग मिलकर जीवन का एक नया आह्वान किया था जब जग रूठा था हमसे तब भी ना हमने जरा मलाल किया था कटु वचन सुने दुनियां के फिर भी ना नीचे अपना भाल किया था फिर हुई क्या मुझसे भूल जो तुमने साथ अचानक छोड़ दिया है मझधारा में लाकर मुझको बोलो क्यों राह अचानक मोड़ लिया है मन में यह विष घोला किसने किसने हैं नया प्राणिपात लिया किसने मेरे जीवन के इस उपवन पर इतना बड़ा आघात किया गर कुछ नाराजी है तो बात करो जरा तर्क भी दो संवाद करों यूं निरा छोड़कर मुझको तुम ना मन पर हृदयाघात करो यह विरह नही सह पाऊंगा, जीते जी मै मर जाऊंगा गर तुझसे बिछड़ गया फिर मैं मुझमें ही ना रह पाऊंगा गर फिर भी भान नहीं तुमको तो लो कटार लहू लोचन कर दो चीर दो मेरा हृदय पटल और प्रेम के ऋण से मोचन कर दो ©Ankur tiwari

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