सुनो... की बुलंदियों को छूना ही जरूरी नहीं, खुद | हिंदी Shayari

"सुनो... की बुलंदियों को छूना ही जरूरी नहीं, खुद के बनाए रास्ते पर, चलना भी बड़ी बात है.. इन राहों पर चलते हुए.. कुछ लोग तुम्हें हौसला देंगे, तो ज्यादतर तानें मिलेंगे. इतना आसान नहीं होता, खुद की जमीन तैयार करके, सपनों के बीज बिखर देना.. तुम टूटना मत.. जब कुछ लोग, गले लगा कर, तुम्हें छल लेंगे. तुम हौसला हो उनका, जिन्होंने तुम पर भरोसा किया. तुम्हारे बुने हुए... कुछ पूरे - कुछ अधूरे मधुर सपने. उनको.. उनका, उज्ज्वल कल देंगे ©mahi singh"

 सुनो... 
की बुलंदियों को छूना ही जरूरी नहीं, 
खुद के बनाए रास्ते पर, 
चलना भी बड़ी बात है..

इन राहों पर चलते हुए..
 कुछ लोग तुम्हें हौसला देंगे,
तो ज्यादतर तानें मिलेंगे.

इतना आसान नहीं होता,
 खुद की जमीन तैयार करके, सपनों के बीज बिखर देना..
 तुम टूटना मत.. जब कुछ लोग,
 गले लगा कर, तुम्हें छल लेंगे.

तुम हौसला हो उनका,
जिन्होंने तुम पर भरोसा किया.
 तुम्हारे बुने हुए... 
कुछ पूरे - कुछ अधूरे
 मधुर सपने. 
उनको.. उनका, उज्ज्वल कल देंगे

©mahi singh

सुनो... की बुलंदियों को छूना ही जरूरी नहीं, खुद के बनाए रास्ते पर, चलना भी बड़ी बात है.. इन राहों पर चलते हुए.. कुछ लोग तुम्हें हौसला देंगे, तो ज्यादतर तानें मिलेंगे. इतना आसान नहीं होता, खुद की जमीन तैयार करके, सपनों के बीज बिखर देना.. तुम टूटना मत.. जब कुछ लोग, गले लगा कर, तुम्हें छल लेंगे. तुम हौसला हो उनका, जिन्होंने तुम पर भरोसा किया. तुम्हारे बुने हुए... कुछ पूरे - कुछ अधूरे मधुर सपने. उनको.. उनका, उज्ज्वल कल देंगे ©mahi singh

@pramodini Mohapatra "सीमा"अमन सिंह @Ana pandey katha @R Ojha

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