बारिश धो गई आंसू
विलखते लाख चेहरों की
पर आंसू दिल जो निकले
वो बारिश छू भी न पाई
दिखाने को जहां सारे में
हसता ही मैं रहता था
भुला बैठा तुम्हारा वजूद
कहता ही मैं रहता था
फिर एक दिन आ गई बारिश
मैं रो उठा फिर से
फिर से धो गई आंसू
रोते खामोश चेहरे की
पर आंसू दिल में जो निकला
वो फिर से छू भी न पाई
मानो मैं भूलता हूं सब पर
वो भूल न पाई।।
©Vimal Gupta
#Heart