बहुत सारी वेदना मेरे अन्दर है चाहती हू उल्टियां कर | हिंदी Poetry Vide

"बहुत सारी वेदना मेरे अन्दर है चाहती हू उल्टियां कर के निकाल दु उंगली कंठ मे डालती हू तो सारा बदन काँपता है श्वास से प्रयास करू तो मौत आँखों मे उतर आती है ©चाँदनी "

बहुत सारी वेदना मेरे अन्दर है चाहती हू उल्टियां कर के निकाल दु उंगली कंठ मे डालती हू तो सारा बदन काँपता है श्वास से प्रयास करू तो मौत आँखों मे उतर आती है ©चाँदनी

#drowning

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