धूप-छाँव में किसे चुनें हम, मन का अन्तर्द्वन्द यह | हिंदी Poetry

"धूप-छाँव में किसे चुनें हम, मन का अन्तर्द्वन्द यही था। लिखना या रोजी की चिन्ता दोनों का पथ एक नहीं था। ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'"

 धूप-छाँव में  किसे चुनें हम, मन का अन्तर्द्वन्द यही था।
लिखना या रोजी की चिन्ता दोनों का पथ एक नहीं था।

©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

धूप-छाँव में किसे चुनें हम, मन का अन्तर्द्वन्द यही था। लिखना या रोजी की चिन्ता दोनों का पथ एक नहीं था। ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

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