आज हिज्र की रात थी,
वो मेरे पास थी,
प्यार नहीं चहरे पर दिखता सबकुछ अजीब था।
कह तो रही थी नहीं जाना,पर जाना ही उसका नसीब था,
कुछ भी कहो आंखों में जैसे मजबूरी थी,
थी सामने मेरे और दिलों में जैसे दूरी थी।
सेज फूलों की सजी थी उसकी पर राहों में मेरे कांटे थे,
खुशियाँ यूँ तबाह हूई ये गम वक्त ने बांटें थे,
शोर आसपास गूंज रहा, दिलों में अब सन्नाटे थे।
एक बार तो मिलने आना था,
हमेशा के लिए जो जाना था।
खुशियाँ हिस्से तेरे थी,गम तो सारे मेरे थे,
कुछ देर ही अब बाकी थी होने वाले तेरे फेरे थे।
सच मानों यारों उस दिन मेरी बरबादी थी,
बस चंद लम्हों में होने वाली उसकी शादी थी।
जा रही हो अब ना लौटकर फिर आना तुम,
कसमें उसके साथ जो ले ली हैं,उन्हें अच्छे से निभाना तुम।💔
#waiting