मैं सफ़र तो पूरा कर रहा हूँ
पर तेरा इन्तज़ार भी कर रहा हूँ
बैचेनी सी आती है मुझे बार - बार
क्यों फिर भी तेरी राह तक़ रहा हूँ
खेल के मेरी ख्वाहिशें से चली गई
फिर भी क्यों मेरे दिल में उतर गई
मैं लेकर नाम तेरा हँस क्यों रहा हूँ
गुनहगार मेरी जिंदगी की तू बन गई
इसलिए बशर्ते तेरे ख्वाब तोड़ रहा हूँ
जिंदगी में तेरी कमी तो हमेशा रहेगी
कमी को भुलाकर फिर से याद कर रहा हूँ
©Monu Kumar Sahgal
मैं सफ़र तो पूरा कर रहा हूँ
पर तेरा इन्तज़ार भी कर रहा हूँ
बैचेनी सी आती है मुझे बार - बार
क्यों फिर भी तेरी राह तक़ रहा हूँ
खेल के मेरी ख्वाहिशें से चली गई
फिर भी क्यों मेरे दिल में उतर गई
मैं लेकर नाम तेरा हँस क्यों रहा हूँ
गुनहगार मेरी जिंदगी की तू बन गई