वजूद ए इश्क ना काबिल ए बर्दाश्त है, हुस्न ए शबाब | हिंदी शायरी

"वजूद ए इश्क ना काबिल ए बर्दाश्त है, हुस्न ए शबाब है गैर ए ज़माने के पास है ©deshank sharma"

 वजूद ए इश्क ना काबिल ए बर्दाश्त है, 
हुस्न ए शबाब है गैर ए ज़माने के पास है

©deshank sharma

वजूद ए इश्क ना काबिल ए बर्दाश्त है, हुस्न ए शबाब है गैर ए ज़माने के पास है ©deshank sharma

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