मिल जुलकर सब रहें यहां , ऐसा निज़ाम हो आपस में लड | हिंदी शायरी

"मिल जुलकर सब रहें यहां , ऐसा निज़ाम हो आपस में लड़ झगड़कर , कब तक जिएंगे हम । ©सलीम ख़ान"

 मिल जुलकर सब रहें यहां , ऐसा निज़ाम हो 
आपस में लड़ झगड़कर , कब तक जिएंगे हम ।

©सलीम ख़ान

मिल जुलकर सब रहें यहां , ऐसा निज़ाम हो आपस में लड़ झगड़कर , कब तक जिएंगे हम । ©सलीम ख़ान

#मेरी_कलम_से

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