धूप_छाँव सब खेल हैं जिंदगी के सच्ची सच्ची_ ये क | English Poetry

"धूप_छाँव सब खेल हैं जिंदगी के सच्ची सच्ची_ ये क्या बात है जब ये नहीं ठहरे सदा के लिए तुम्हारे ग़म की क्या औकात है? ©Deepak Kumar 'Deep'"

 धूप_छाँव  सब  खेल हैं जिंदगी  के
सच्ची सच्ची_ ये क्या बात है 
जब ये  नहीं  ठहरे  सदा  के  लिए 
तुम्हारे  ग़म  की क्या औकात  है?

©Deepak Kumar 'Deep'

धूप_छाँव सब खेल हैं जिंदगी के सच्ची सच्ची_ ये क्या बात है जब ये नहीं ठहरे सदा के लिए तुम्हारे ग़म की क्या औकात है? ©Deepak Kumar 'Deep'

#dhoop chaanv

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