तेरी आजमाइश से हु बेखबर यह मेरी नज़र का कसूर है, | हिंदी शायरी

"तेरी आजमाइश से हु बेखबर यह मेरी नज़र का कसूर है, तेरी राह में कदम कदम पर कही अर्श है कही तूर है। यह बजा हैं मालिक दो जहा, मेरी बंदगी एक फितूर है... यह बता मै तुझसे मिलू कहा, मुझे मिलना तुझसे ज़रूर है! मेरी बख्श दे मालिक हर खाता तू गफूर है तू रहीम है... ©Saeed Anwar"

 तेरी आजमाइश से हु बेखबर
यह मेरी नज़र का कसूर है,

तेरी राह में कदम कदम पर 
कही अर्श है कही तूर है।

यह बजा हैं मालिक दो जहा, 
मेरी बंदगी एक फितूर है...

यह बता मै तुझसे मिलू कहा,
मुझे मिलना तुझसे ज़रूर है! 

मेरी बख्श दे मालिक हर खाता
 तू गफूर है तू रहीम है...

©Saeed Anwar

तेरी आजमाइश से हु बेखबर यह मेरी नज़र का कसूर है, तेरी राह में कदम कदम पर कही अर्श है कही तूर है। यह बजा हैं मालिक दो जहा, मेरी बंदगी एक फितूर है... यह बता मै तुझसे मिलू कहा, मुझे मिलना तुझसे ज़रूर है! मेरी बख्श दे मालिक हर खाता तू गफूर है तू रहीम है... ©Saeed Anwar

#baarish

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