Unsplash हाथ आजाता था दोस्तो का कांधे पर जब आंखे ह | हिंदी शायरी

"Unsplash हाथ आजाता था दोस्तो का कांधे पर जब आंखे हम कभी नम रखते थे खुशी से झूम उठते थे सभी दोस्त जब स्कूल में हम भी क़दम रखते थे वो पढ़ाई का दौर भी क्या दौर था जेब में हम भी क़लम रखते थे मस्त मौला जैसी ज़िंदगी गुजरती थी हमारी न दिल में कोई ख़ाहिश न दिल में कोई ग़म रखते थे जरूरतें तब भी पूरी हुआ करती थी न जेब में हम कोई रकम रखते थे सख्त मुफलिसी के दौर में भी आलम बस दिल में जीने की उमंग रखते थे अपनी आशिकी पर इतराने वाले लोगों किसी दौर में हम भी सनम रखते थे ©Shoheb alam shayar jaipuri"

 Unsplash हाथ आजाता था दोस्तो का कांधे पर
जब आंखे हम कभी नम रखते थे

खुशी से झूम उठते थे सभी दोस्त
जब स्कूल में हम भी क़दम रखते थे

वो पढ़ाई का दौर भी क्या दौर था
 जेब में हम भी क़लम रखते थे

मस्त मौला जैसी ज़िंदगी गुजरती थी हमारी
न दिल में कोई ख़ाहिश न दिल में कोई ग़म रखते थे

जरूरतें तब भी पूरी हुआ करती थी
न जेब में हम कोई रकम रखते थे

सख्त मुफलिसी के दौर में भी आलम
बस दिल में जीने की उमंग रखते थे

अपनी आशिकी पर इतराने वाले लोगों
किसी दौर में  हम भी सनम रखते थे

©Shoheb alam shayar jaipuri

Unsplash हाथ आजाता था दोस्तो का कांधे पर जब आंखे हम कभी नम रखते थे खुशी से झूम उठते थे सभी दोस्त जब स्कूल में हम भी क़दम रखते थे वो पढ़ाई का दौर भी क्या दौर था जेब में हम भी क़लम रखते थे मस्त मौला जैसी ज़िंदगी गुजरती थी हमारी न दिल में कोई ख़ाहिश न दिल में कोई ग़म रखते थे जरूरतें तब भी पूरी हुआ करती थी न जेब में हम कोई रकम रखते थे सख्त मुफलिसी के दौर में भी आलम बस दिल में जीने की उमंग रखते थे अपनी आशिकी पर इतराने वाले लोगों किसी दौर में हम भी सनम रखते थे ©Shoheb alam shayar jaipuri

#Book दोस्त शायरी

People who shared love close

More like this

Trending Topic