कुछ यूं टूट के बिखरे कांच की तरह की फिर जुड़ कर भ | हिंदी Poetry

"कुछ यूं टूट के बिखरे कांच की तरह की फिर जुड़ कर भी एक न हो पाए ©Anurag Thakur"

 कुछ यूं टूट के बिखरे कांच की तरह 
की फिर जुड़ कर भी एक न हो पाए

©Anurag Thakur

कुछ यूं टूट के बिखरे कांच की तरह की फिर जुड़ कर भी एक न हो पाए ©Anurag Thakur

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