"मैं, मैं दिल्ली शहर हूं
एक झटके में जब ज़िंदगी खतम हो गई तब मैं वही खड़ा था।
कितने लोग बेघर हो गए तब मैं वही खड़ा था।
ना जाने कितने अपने मुझमें समा गए तब मैं वही खड़ा था।
मैं आज भी उसी मोड़ पर खड़ा हूं और शायद ऐसे ही खड़ा सब देखता रहूंगा।
©vinay tiwari
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