जिन्दगी को ना समझ तु आसान रुलाती भी है जीना भी स | हिंदी शायरी

"जिन्दगी को ना समझ तु आसान रुलाती भी है जीना भी सिखलाती है उम्मीदें जहां हो कायम कभी इतराती है कभी मुस्कुराती भी है रास्ते अलग कहां है उनसे एक ही सफर में सपने दिखलाती है कभी तूटे सपनों से एक दास्तान भी लिखती है ©Tafizul Sambalpuri"

 जिन्दगी को ना समझ तु आसान 
रुलाती भी है 
जीना भी सिखलाती है 
उम्मीदें जहां हो कायम
कभी इतराती है 
कभी मुस्कुराती भी है 
रास्ते अलग कहां है उनसे 
एक ही सफर में 
सपने दिखलाती है 
कभी तूटे सपनों से 
एक दास्तान भी लिखती है

©Tafizul Sambalpuri

जिन्दगी को ना समझ तु आसान रुलाती भी है जीना भी सिखलाती है उम्मीदें जहां हो कायम कभी इतराती है कभी मुस्कुराती भी है रास्ते अलग कहां है उनसे एक ही सफर में सपने दिखलाती है कभी तूटे सपनों से एक दास्तान भी लिखती है ©Tafizul Sambalpuri

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