माँ सुबह एक नजर पड़ी तो साम | हिंदी Shayari

"माँ सुबह एक नजर पड़ी तो सामने माँ थी नहाने का ख्याल आया तो पानी की बाल्टी लिए तैयार थी जाने की जल्दी में रोटी हाथ में और लंच के लिए खाना बिस्तर पर तैयार मिला जब धूप थी तो माँ के आंचल की छाया और मुश्किलों में माँ का प्यार मिला घर जाते वक्त देर हो जाए तो फोन पर पहली कॉल माँ की थी और जब घर की तरफ चले तो घर पहुंचकर इंतेज़ार में मुझे निहारती भी मेरी माँ ही थी तो लिख सकूं उस माँ के लिए इतना हुआ मैं काबिल नहीं सफर जारी रहे उनका मेरे साथ ऐसे वो कोई मुसाफिर नहीं शायद लिखा था यहीं तक साथ हमारा कहा था मुझसे की ना भी रहूं मैं तो रखना सबका ख्याल तू समझदार बेटा है हमारा जाने का दुख इतना नहीं बस कुछ कर न सका रहते उनके लिए वो अफसोस है तेरी आवाजें तेरा दर्द मुझे आज भी सोते हुए महसूस है ।। ©Ravinder Sharma"

 माँ                      

सुबह एक नजर पड़ी तो सामने माँ थी
नहाने का ख्याल आया तो पानी की बाल्टी लिए तैयार थी 

जाने की जल्दी में रोटी हाथ में और लंच के लिए खाना बिस्तर पर तैयार मिला
जब धूप थी तो माँ के आंचल की छाया और मुश्किलों में माँ का प्यार मिला

घर जाते वक्त देर हो जाए तो फोन पर पहली कॉल माँ की थी
और जब घर की तरफ चले तो घर पहुंचकर इंतेज़ार में मुझे निहारती भी मेरी माँ ही थी

तो लिख सकूं उस माँ के लिए इतना हुआ मैं काबिल नहीं
सफर जारी रहे उनका मेरे साथ ऐसे वो कोई मुसाफिर नहीं

शायद लिखा था यहीं तक साथ हमारा
कहा था मुझसे की ना भी रहूं मैं तो रखना सबका ख्याल तू समझदार बेटा है हमारा

जाने का दुख इतना नहीं बस कुछ कर न सका रहते उनके लिए वो अफसोस है
तेरी आवाजें तेरा दर्द मुझे आज भी सोते हुए महसूस है ।।

©Ravinder Sharma

माँ सुबह एक नजर पड़ी तो सामने माँ थी नहाने का ख्याल आया तो पानी की बाल्टी लिए तैयार थी जाने की जल्दी में रोटी हाथ में और लंच के लिए खाना बिस्तर पर तैयार मिला जब धूप थी तो माँ के आंचल की छाया और मुश्किलों में माँ का प्यार मिला घर जाते वक्त देर हो जाए तो फोन पर पहली कॉल माँ की थी और जब घर की तरफ चले तो घर पहुंचकर इंतेज़ार में मुझे निहारती भी मेरी माँ ही थी तो लिख सकूं उस माँ के लिए इतना हुआ मैं काबिल नहीं सफर जारी रहे उनका मेरे साथ ऐसे वो कोई मुसाफिर नहीं शायद लिखा था यहीं तक साथ हमारा कहा था मुझसे की ना भी रहूं मैं तो रखना सबका ख्याल तू समझदार बेटा है हमारा जाने का दुख इतना नहीं बस कुछ कर न सका रहते उनके लिए वो अफसोस है तेरी आवाजें तेरा दर्द मुझे आज भी सोते हुए महसूस है ।। ©Ravinder Sharma

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