"किसी ने मुझ से कह दिया था ज़िंदगी पे ग़ौर कर
मैं शाख़ पर खिला हुआ गुलाब देखता रहा
काँटों से घिरा रहता है,
फिर भी गुलाब खिला रहता है
आज ख़ुशबू भरे गुलाबों से
मेरे दामन को भर गया कोई.
गुलाब जैसी हो,
गुलाब लगती हो,
हल्का सा जो मुस्कुरा दो,
तो लाजवाब लगती हो.
©shayri walla
"