छत पर बैठा चांद मेरा बोला यूं एहसास
पास में मेरे तुम बैठे थे क्यों था दिल ये उदास
अरे बोल पिया तू लब ये खोल पिया तू
तन से मेरे पास थे प्यारे मन था कहीं ओर
नजर बावरी क्या ढूंढ रही थी बोलो ओ चित्तचौर बोलो ओ चित्तचौर
अरे ओ बोल पिया तू लब ये खोल पिया तू
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