एक अरसे इंतजार किया था उस मोड़ पर
जहाँ गई थी तू मुझे छोड़कर
अब रात होने को हैं लगता है डर
सून सान सी है सड़कें कोई नहीं है राह ए गुजर
टिमटिमाते तारे जुगनुओं के सहारे
थक कर हार कर मैं लौट जाता हूँ अपने घर
फिर ये न कहना कि मैंने इंतजार नहीं किया
©Ek Lamba safer with Adarsh upadhyay
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