White पल्लव की डायरी मनसूबे किया है जंगल जहाँ को ब | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी मनसूबे किया है जंगल जहाँ को बना देंगे सभ्यसमाज की हिला दी शिला खोदकर बुल्डोजरो से सब कुछ इंसानियत की मिशाल बुझा देगे धर्म की आड़ में लूटकर भिखारी जनता को बना देंगे बजट तक नही होता इंतजार हर महीने दाम बढ़ा देगे सरकार हो गयी बनिया की दुकान नफा नुकसान की भरपाई में कोई भी फार्मूला लगा देंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
मनसूबे किया है
जंगल जहाँ को बना देंगे
सभ्यसमाज की हिला दी शिला
खोदकर बुल्डोजरो से सब कुछ
इंसानियत की मिशाल बुझा देगे
धर्म की आड़ में लूटकर
भिखारी जनता को बना देंगे
बजट तक नही होता इंतजार
हर महीने दाम बढ़ा देगे
सरकार हो गयी बनिया की दुकान
नफा नुकसान की भरपाई में
कोई भी फार्मूला लगा देंगे
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी मनसूबे किया है जंगल जहाँ को बना देंगे सभ्यसमाज की हिला दी शिला खोदकर बुल्डोजरो से सब कुछ इंसानियत की मिशाल बुझा देगे धर्म की आड़ में लूटकर भिखारी जनता को बना देंगे बजट तक नही होता इंतजार हर महीने दाम बढ़ा देगे सरकार हो गयी बनिया की दुकान नफा नुकसान की भरपाई में कोई भी फार्मूला लगा देंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#good_night बजट तक नही होता इंतजार

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