निसाब के बदलाव की गरज समझिए, पढ़े-लिखे को रोजग | हिंदी कविता Video

" निसाब के बदलाव की गरज समझिए, पढ़े-लिखे को रोजगार से मोहताज ना कीजिए। सिखाइए हुनर और जिंदगी के सबक साथ में, बस डिग्रियों का नहीं, काबिलियत का भी लिहाज कीजिए। ©Balwant Mehta "

निसाब के बदलाव की गरज समझिए, पढ़े-लिखे को रोजगार से मोहताज ना कीजिए। सिखाइए हुनर और जिंदगी के सबक साथ में, बस डिग्रियों का नहीं, काबिलियत का भी लिहाज कीजिए। ©Balwant Mehta

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