जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए, बाव | हिंदी शायरी

"जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए, बावजूद इसके कीमत अपनी भारी रखो। जमाने भर की नफ़रतों के बावजूद, मोहब्बत यूं ही जारी रखो। तुमसे बढ़कर कोई नहीं है इस जहाँ में, इसलिए खुद को सबसे खास जारी रखो। अच्छाई के रास्ते पर चलते रहो हर दम, हर उलझन के बावजूद नेकियां जारी रखो। रुख हवा का हो या दुनिया बदल जाए, अपने दिल की आवाज़ भारी रखो। सफेद कपड़ों पर दाग लग न जाए, तबियत अपनी साफ रखो। दब जाना नहीं ऊंची आवाज़ के तले, अलग अपनी एक पहचान रखो। आ जाएं किसी के भी काम, राहत हमेशा सरकारी रखो। बुरा वक्त आए न किसी का, हाथ बढ़ाने में सरदारी रखो। दूसरों के दुःख-सुख में भागीदार बनो, अपने दिल में इंसानियत की सवारी रखो। ©नवनीत ठाकुर"

 जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए,
बावजूद इसके कीमत अपनी भारी रखो।
जमाने भर की नफ़रतों के बावजूद,
मोहब्बत यूं ही जारी रखो।

तुमसे बढ़कर कोई नहीं है इस जहाँ में,
इसलिए खुद को सबसे खास जारी रखो।

अच्छाई के रास्ते पर चलते रहो हर दम,
हर उलझन के बावजूद नेकियां जारी रखो।

रुख हवा का हो या दुनिया बदल जाए,
अपने दिल की आवाज़ भारी रखो।
सफेद कपड़ों पर दाग लग न जाए,
तबियत अपनी साफ रखो।

दब जाना नहीं ऊंची आवाज़ के तले,
अलग अपनी एक पहचान रखो।

आ जाएं किसी के भी काम,
राहत हमेशा सरकारी रखो।

बुरा वक्त आए न किसी का,
हाथ बढ़ाने में सरदारी रखो।
दूसरों के दुःख-सुख में भागीदार बनो,
अपने दिल में इंसानियत की सवारी रखो।

©नवनीत ठाकुर

जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए, बावजूद इसके कीमत अपनी भारी रखो। जमाने भर की नफ़रतों के बावजूद, मोहब्बत यूं ही जारी रखो। तुमसे बढ़कर कोई नहीं है इस जहाँ में, इसलिए खुद को सबसे खास जारी रखो। अच्छाई के रास्ते पर चलते रहो हर दम, हर उलझन के बावजूद नेकियां जारी रखो। रुख हवा का हो या दुनिया बदल जाए, अपने दिल की आवाज़ भारी रखो। सफेद कपड़ों पर दाग लग न जाए, तबियत अपनी साफ रखो। दब जाना नहीं ऊंची आवाज़ के तले, अलग अपनी एक पहचान रखो। आ जाएं किसी के भी काम, राहत हमेशा सरकारी रखो। बुरा वक्त आए न किसी का, हाथ बढ़ाने में सरदारी रखो। दूसरों के दुःख-सुख में भागीदार बनो, अपने दिल में इंसानियत की सवारी रखो। ©नवनीत ठाकुर

#मुहब्बत अपनी जारी रखो

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