White खुली है आंखें मेरी पर दिन मैं अधेरा नजर आता है।
मुद्दोसी का है ये आलम के मुझे रात मैं सवेरा नकल आता है।
खुद से ही हो रहा हु मैं खत्म कोई है जो मुझे अंदर से खाता है।
अब पानी तो है बस मेरी आंखों मैं,
आसमा तो बस मुझपे दुःख बरसाता है।
©Jayesh
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