खुदगर्जी में गुमसुम यूं ही नहीं हैं किसी ने अपना | हिंदी Shayari

"खुदगर्जी में गुमसुम यूं ही नहीं हैं किसी ने अपना माना कहां हैं.. इस रूठेपन की वजह पूछते हैं पर हमदर्दी की कोई वजह कहां है... ©The Frustrated Nagrik"

 खुदगर्जी में गुमसुम यूं ही नहीं हैं

किसी ने अपना माना कहां हैं..

इस रूठेपन की वजह पूछते हैं 

 पर हमदर्दी की कोई वजह कहां है...

©The Frustrated Nagrik

खुदगर्जी में गुमसुम यूं ही नहीं हैं किसी ने अपना माना कहां हैं.. इस रूठेपन की वजह पूछते हैं पर हमदर्दी की कोई वजह कहां है... ©The Frustrated Nagrik

#thefrustednagrik
#Shwetarya

#Morning

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