आशियाने की एहमियत भटकती हुए हर शय को मुकम्मल ठौर च | हिंदी कविता Video

"आशियाने की एहमियत भटकती हुए हर शय को मुकम्मल ठौर चाहिए पूरा न कर सका जो ख्वाहिशें इस दिल की तो इसे भी फिर जिस्म कोई और चाहिए। ©अलका मिश्रा ©alka mishra "

आशियाने की एहमियत भटकती हुए हर शय को मुकम्मल ठौर चाहिए पूरा न कर सका जो ख्वाहिशें इस दिल की तो इसे भी फिर जिस्म कोई और चाहिए। ©अलका मिश्रा ©alka mishra

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