तेरी रहमतों ने मुझको कुछ यूं संवारा है
मैं डूबता मुसाफिर,तू किनारा है
खामोश रास्तों का मैं अंधेरा हूँ
तू मेरा जुगनू , तू सितारा है
तू दीवाली की रौनक ,मैं मायूस लम्हा हूँ
फागुन के रंगों से तूने मुझे सजाया है
तू बरगद सी विशाल,मैं नन्हा सा पौधा हूँ
समेट मुझको तुमने आसमां दिखाया है
@ संजय सेन सागर
तेरी रहमत
#feather