मैं अगर तुमसे कह ना पाऊं,
अपने मन की बात
तुम समझ लेना मेरे मौन से,
मेरी आँखों से हर उस बात को
जैसे समझ लेता है..
कोई माह (अक्टूबर )
उससे मिलने आये फूलों (पारिजात )
का त्याग और समर्पण..
और मैं तुम्हे खड़ी मिलूंगी प्राजक़्ता सी
प्रत्येक वर्ष के अंत तक
ये मेरा वादा है तुमसे...
नंदिनी...
©Nandini..