White चाँद की शुभ्र ज्योत्सना से सजे दरख्तों के स | हिंदी Shayari

"White चाँद की शुभ्र ज्योत्सना से सजे दरख्तों के साये में भी सुकून नही मिलता.. बैठा रहता हूँ चाँदनी के तले उसके इंतजार को संभाले, मगर उसका पता नही मिलता... टहलता रहता है अक्स उसका मेरे मन मानस के किनारे-किनारे अफ़सोस.... फ़िर भी मुझसे कभी नही मिलता... ©हिमांशु Kulshreshtha"

 White चाँद की शुभ्र ज्योत्सना 
से सजे दरख्तों के साये में 
भी सुकून नही मिलता..
बैठा रहता हूँ चाँदनी के तले 
उसके इंतजार को संभाले,
मगर उसका पता नही मिलता...
टहलता रहता है अक्स उसका 
मेरे मन मानस के किनारे-किनारे 
अफ़सोस.... 
फ़िर भी मुझसे कभी नही मिलता...

©हिमांशु Kulshreshtha

White चाँद की शुभ्र ज्योत्सना से सजे दरख्तों के साये में भी सुकून नही मिलता.. बैठा रहता हूँ चाँदनी के तले उसके इंतजार को संभाले, मगर उसका पता नही मिलता... टहलता रहता है अक्स उसका मेरे मन मानस के किनारे-किनारे अफ़सोस.... फ़िर भी मुझसे कभी नही मिलता... ©हिमांशु Kulshreshtha

अफ़सोस...

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